BA Semester-3 Defence and Strategic Studies - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2648
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करते हुए सुरक्षा के निर्धारक तत्वों की व्याख्या कीजिए।

अथवा
राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले तत्वों का उल्लेख कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. सुरक्षा के निर्धारक तत्वों को लिखिए।

उत्तर -

प्रत्येक राष्ट्र की सभी नीतियों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण नीति उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति मानी जाती है। उसकी राजनीतिक, आर्थिक, सैनिक एवं वैदेशिक नीतियाँ इस बात पर अधिक निर्भर करती हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकताएँ किन सन्दर्भों में परिभाषित की गई है। किसी भी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा वहाँ के सुदृढ़ सामाजिक एवं आर्थिक ढाँचे पर निहित होती है। सुरक्षा एक व्यापक शब्दावली है, जिसका सम्बन्ध प्रादेशिक अखण्डता एवं राजनीतिक प्रभुसत्ता के साथ- साथ राष्ट्रीय तथा आन्तरिक मान्यताओं की बाहरी आक्रमणों से रक्षा करने से भी है।

राष्ट्रीय सुरक्षा का संक्षिप्त में अभिप्राय यह है कि किसी भी प्रकार के खतरे से अपने राष्ट्र को सुरक्षित रखना। इसके लिए राष्ट्र के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, सैनिक, भौतिक, मनोवैज्ञानिक तथा वैदेशिक तत्व पूर्ण रूप से अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। सभी तत्वों को इस प्रकार समायोजित करते हैं कि समस्त परिस्थितियाँ अपने पक्ष में रहें तथा विपक्षी पर उनका प्रतिकूल प्रभाव पड़े। संक्षेप में हम राष्ट्रीय सुरक्षा के सन्दर्भ में यह कह सकते हैं - एक राष्ट्र की चेतावनी के प्रति बचाव रखना ही राष्ट्रीय सुरक्षा है।

किसी राष्ट्र की सुरक्षा उसकी सुरक्षा और पूर्ण सुरक्षा के बीच किसी भी जगह हो सकती है। सुरक्षा के प्रयास निश्चय ही शक्ति प्राप्त करने के प्रयत्न बन जाते हैं, क्योंकि सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि या तो आक्रमण का जवाब देने के लिए या सम्भावित विद्रोही हमला करने से रोके रहने के लिए बल का संचय होना चाहिए।

फ्रैन्क टारजेन ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार की नीतियों का एक अंग है जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा व पूर्ति हेतु राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण से ऐसी परिस्थितियाँ बनाना है, जिससे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मान्यताओं का विस्तार करके, उसको सुरक्षा प्रदान की जा सके।

राष्ट्रीय सुरक्षा का अभिप्राय जहाँ राष्ट्र को सतर्क, सबल एवं सुव्यवस्थित बनाना होता है वहाँ इसको सुदृढ़ करने के प्रयास शक्ति संतुलन बनाए रखने की लालसा में युद्ध की स्थिति को बढ़ावा देते हैं। आज सुरक्षा की अवधारणा में भी परिवर्तन हो रहा है, क्योंकि सुरक्षा की आड़ में निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए रक्षा साधनों, उत्पादनों एवं हथियारों से शक्ति सन्तुलन के नाम पर शान्ति एवं सुरक्षा को ही आघात पहुँचाया जा रहा है।

अतः सुरक्षा का अभिप्राय जहाँ राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने राष्ट्र के गौरव एवं गरिमा को बनाए रखते हुए शान्तिपूर्ण तरीके से विकसित करना है, वहीं दूसरी रक्षा साधनों को जुटाये रखकर विपक्षी को युद्ध से भयभीत करना होता है। जब कोई राष्ट्र सुरक्षा के नाम पर कोई कार्य करता है, तो इस बात का निश्चय कर पाना कठिन होता है कि वास्तव में सुरक्षा उपाय अपना रहा है या अपने अन्य उद्देश्य को छिपाने के लिए सुरक्षा का पर्दा ढँकना चाहता है। यही कारण है कि सुरक्षा की ऊँची आकांक्षा वाले राष्ट्रों पर अधिकतर शंका की जाने लगती है कि वह अपने अधिक आक्रामक उद्देश्य छिपा रहा है।

सुरक्षा के निर्धारक / प्रभावित करने वाले तत्व

राष्ट्रीय अस्तित्व को सुरक्षित रखने के साथ-साथ राष्ट्र के विकास के लिए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत रखना अत्यन्त आवश्यक है। किसी भी राष्ट्र की रक्षा एवं सुरक्षा आज उसकी सशस्त्र सेनाओं तथा सीमाओं की सुरक्षा तक सीमित नहीं रह गई है। सम्पूर्ण राष्ट्र के समस्त साधनों का सक्रिय योगदान तथा प्रत्येक पहलू की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक राष्ट्र को सबल एवं सफल बनाने के लिए रक्षा के साथ-साथ राष्ट्र के अन्य आवश्यक निर्धारक सुरक्षा तत्वों को नकारा नहीं जा सकता है।

वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति ने युद्ध के स्वरूप को ही परिवर्तित कर दिया है। सम्पूर्ण युद्ध के इस युग में राष्ट्रीय सुरक्षा का अर्थ भी सम्पूर्ण हो गया है, जिसमें राष्ट्र के प्रत्येक पहलू, जैसे - भौगोलिक, आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक एवं तकनीक आदि का भी परीक्षण होता है। अब राष्ट्रीय सुरक्षा केवल रक्षा साधनों पर ही निर्भर नहीं है बल्कि राष्ट्र की सम्पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था को प्रभावित करने वाले निर्धारक तत्वों का उल्लेख करना आवश्यक है, जिससे सुरक्षा की अवधारणा को सही रूप से जाना जा सके। यह तत्व निम्नलिखित हैं-

1. भूगोल (Geography) - किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था में उस राष्ट्र का भूगोल एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह तत्व अपेक्षाकृत अधिक स्थिर एवं स्थायी होता है। वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति से भौगोलिक तत्वों में परिवर्तन क्षमता आ गई है, किन्तु उनकी वास्तविकता में परिवर्तन करना कठिन है। नेपोलियन के अनुसार एक राष्ट्र की विदेश नीति इसके भूगोल द्वारा निर्धारित की जाती है।

इस प्रकार राष्ट्र की सुरक्षा का सबसे महत्वपूर्ण तत्व भूगोल है। भूगोल के सहायक तत्व जो सुरक्षा के विशेष एवं सहायक अंग का कार्य करते हैं निम्नलिखित हैं- (i) स्थिति (Location) (ii) आकार (size) (iii) जलवायु (Climate) (iv) स्थलाकृति (Topography) (v)- सीमाएँ ( Boundries) (vi) यातायात एवं संचार (Transport and Communication) (vii) जनसंख्या ( Population) (viii) संसाधन।

2. आर्थिक विकास (Economic Development) - राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में आर्थिक विकास अत्याधिक महत्वपूर्ण तत्व है; क्योंकि यह जहाँ सैनिक शक्ति के लिए साधन है, वहीं आम लोगों के लिए हितकारी, समृद्धि तथा प्रबद्धता का आधार है। विश्व में वही राष्ट्र शक्तिशाली व सुरक्षित है जिनकी अर्थव्यवस्था विकसित, स्वस्थ तथा विकास करने वाली होगी।

आर्थिक विकास के अन्तर्गत सम्बन्धित राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधन, औद्योगिक क्षमता, परिवहन एवं संचार, जनसंख्या, तकनीकी, आर्थिक विकास की विचारधारा, कूटनीति तथा विदेशी सहायता आदि का भी सक्रिय सहयोग रहता है।

आधुनिक युद्ध के स्वरूप को आर्थिक युद्ध की संज्ञा इसी कारण दी जाती है, क्योंकि राष्ट्र के आर्थिक विकास पर जितनी अधिक सेनायें आधारित होती हैं, उतनी कोई दूसरी वस्तु नहीं। आर्थिक विकास के कुछ महत्वपूर्ण सहायक तत्व होते हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के निकटतम सहयोगी होते हैं; यह तत्व निम्नलिखित हैं-

(i) प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources)
(ii) ऊर्जा संसाधन (Energy Resources)
(iii) औद्योगिक क्षमता (Industrial Capacity )
(iv) विदेशी आर्थिक सम्बन्ध (Foreign Economic Relation)
(v) वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास (Development of Science and Technology)
(vi) परिवहन एवं संचार (Transport and Communication)
(vii) रक्षा उत्पादन एवं उद्योग (Defence Production and Industries)
(viii) आर्थिक विकास की विचारधारा (Ideology of Economic Development)
(ix) आर्थिक विकास की कूटनीति (Diplomacy of Economic Development)
(x) जनसंख्या ( Population) |

3. राजनीतिक अवस्था (Political Condition ) - किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था एवं विदेश नीति को सुदृढ़ बनाने में वहाँ की राजनीतिक परम्परा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लोकतान्त्रिक परम्परा में राजनीतिक पार्टियों के परिवर्तन से निर्धारित योजना एवं विकास परियोजना अधर में लटक कर रह जाती है। अतः राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने में स्वस्थ राजनीतिक परम्परा सदैव महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

4. स्वदेशी वातावरण (Domestic Millieu ) - यदि किसी राष्ट्र का वातावरण उचित रूप में संगठित, सक्षम एवं प्रभावशाली नहीं है तो मानवीय एवं भौतिक साधनों का भी समुचित प्रयोग नहीं किया जा सकता। यह प्रमुखतः सरकार पर निर्भर करता है। इस सन्दर्भ में वी. वी. डाइक ने लिखा है, कि "राज्य के अन्दर सरकार के संगठन तथा प्रशासन का प्रभावशाली होना राष्ट्रीय सुरक्षा एवं शक्ति का एक और साधन है।"

इस प्रकार राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में स्वदेशी वातावरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि स्वदेशी वातावरण अशान्त एवं अलगाववाद के घेरे में घिरा हो तो राष्ट्रीय सुरक्षा अपने आप ही खतरे में हो जाती है।

5. अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण (International Millieu ) - प्रत्येक राष्ट्र अपने हितों को सुरक्षित रखने के लिए "मित्रता एवं सहयोग" की नीति को सर्वाधिक महत्व देता है, जिसके लिए अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश तैयार करना होता है। इसमें सम्बन्धित राष्ट्र को विश्व भर में यह उजागर करना होता है कि उसकी नीतियाँ उदारवादी, जनवादी, कल्याणकारी विकासवादी तथा सहयोग पर आश्रित हैं और उसी के अनुसार अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण को अपने पक्ष में करना होता है। अतः स्पष्ट है कि, अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण से ही राष्ट्रीय सुरक्षा परिवेश को सुदृढ़ बनाया जा सकता है।

6. मानवीय तत्व (Human Factor ) - मानवीय तत्व प्रत्येक राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने में शक्ति के स्तर तथा औद्योगिक व सैनिक क्षमता को सुनिश्चित करने वाला मुख्य तत्व है। मानवीय गुणों का आज भी उतना महत्व है, जितना पहले था और भविष्य में भी बना रहेगा। मानवीय तत्व से ही समाज को सुख-सुविधा एवं नई दिशा दी जाती है, क्योंकि इसके अन्तर्गत राजनेता, बुद्धिजीवी, वैज्ञानिक, इंजीनियर, डॉक्टर तथा अनुसंधानकर्ता आदि आते हैं। मानवीय तत्वों की उपयोगिता प्रशासनिक व्यवस्था को बनाए रखने में, कूटनीतिक योजनाओं के निर्धारण में, राष्ट्रीय चरित्र के विकास में राष्ट्रीय उत्पादन की वृद्धि में, राष्ट्र के कुशल संचालन में, राजनीतिक समीकरण बनाने में, आर्थिक विकास में तथा विश्व शान्ति बनाए रखने के लिए काम आती है।

7. सैन्य शक्ति (Military Power) - राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से सैन्य शक्ति एक अत्यन्त महत्वपूर्ण तत्व है जोकि राष्ट्रीय क्षमता, दक्षता एवं प्रभाव को बनाए रखने में योगदान देता है। सैन्य शक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के साथ ही विदेश नीति को तय करने में सक्रिय सहयोग देती है। किसी भी राष्ट्र की सैन्य शक्ति का निर्धारण निम्नलिखित तत्वों के आधार पर लगाया जा सकता है सैन्य नेतृत्व, सैन्य परम्परा, युद्ध तकनीक, बौद्धिक क्षमता, सैन्य संख्या, सैन्य योग्यता, रक्षा नीति, सैन्य प्रशिक्षण आदि।

8. राष्ट्रीय चरित्र एवं मनोबल (National Character and Moral ) - राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में राष्ट्रीय चरित्र अप्रत्यक्ष एवं महत्वपूर्ण तत्व है। यह तत्व राष्ट्र की जरूरतों, व्यवहार, विशेषताओं, प्रवृत्तियों व परम्पराओं को प्रदर्शित करता है। राष्ट्रीय चरित्र एवं मनोबल आत्मनिर्भरता एवं विकास के साथ बढ़ता रहता है। अतः राष्ट्रीय विकास एवं सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने में इसकी भूमिका को कभी नकारा नहीं जा सकता है।

उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को प्रभावित करने में उपयुक्त तत्वों की अहम् भूमिका रहती है। अतः किसी भी राष्ट्र की राष्ट्रीय सुरक्षा का मूल्याँकन करते समय इन सभी प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष तत्वों पर विशेष रूप से ध्यान देना होगा।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
  2. प्रश्न- राष्ट्र राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
  3. प्रश्न- राष्ट्र राज्य से आप क्या समझते हैं?
  4. प्रश्न- राष्ट्र और राज्य में क्या अन्तर है?
  5. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए तथा सुरक्षा के आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करते हुए सुरक्षा के निर्धारक तत्वों की व्याख्या कीजिए।
  7. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। राष्ट्रीय हित में सुरक्षा क्यों आवश्यक है? विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए।
  9. प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा के तत्वों पर प्रकाश डालिए।
  10. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामाजिक समरसता का क्या महत्व है?
  11. प्रश्न- भारत के प्रमुख असैन्य खतरे कौन से हैं?
  12. प्रश्न- भारत की रक्षा नीति को उसके स्थल एवं जल सीमान्तों के सन्दर्भ में बताइये।
  13. प्रश्न- प्रतिरक्षा नीति तथा विदेश नीति में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  14. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा का विश्लेषणात्मक महत्व बताइये।
  15. प्रश्न- रक्षा नीति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्वों के विषय में बताइये।
  16. प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा नीति से आप क्या समझते है?
  17. प्रश्न- भारत की रक्षा नीति का वर्णन कीजिये।
  18. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित करते हुए शक्ति की अवधारणा का वर्णन कीजिये।
  19. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति की रूपरेखा बताइये।
  20. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित कीजिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
  22. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का परीक्षण कीजिये।
  23. प्रश्न- "एक राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधन उसकी शक्ति निर्माण के महत्वपूर्ण तत्व है।' इस कथन की व्याख्या भारत के सन्दर्भ में कीजिए।
  24. प्रश्न- "किसी देश की विदेश नीति उसकी आन्तरिक नीति का ही प्रसार है।' इस कथन के सन्दर्भ में भारत की विदेश नीति को समझाइये।
  25. प्रश्न- भारतीय विदेश नीति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  26. प्रश्न- कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
  27. प्रश्न- कूटनीति का क्या अर्थ है? बताइये।
  28. प्रश्न- कूटनीति और विदेश नीति का सह-सम्बन्ध बताइये।
  29. प्रश्न- 'शक्ति की अवधारणा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति पर मार्गेनथाऊ के दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के आर्थिक तत्व का सैनिक दृष्टि से क्या महत्व है?
  32. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाने में जनता का सहयोग अति आवश्यक है। समझाइये।
  33. प्रश्न- विदेश नीति को परिभाषित कीजिये तथा विदेश नीति रक्षा नीति के सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  34. प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- शीत युद्ध के बाद के अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण पर एक निबन्ध लिखिये।
  36. प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  37. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये -(i) सुरक्षा परिषद् (Security Council), (ii) वारसा पैक्ट (Warsa Pact), (iii) उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), (iv) दक्षिण पूर्वी एशिया संधि संगठन (SEATO), (v) केन्द्रीय संधि संगठन (CENTO), (vi) आसियान (ASEAN)
  38. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा इनके लाभ पर प्रकाश डालिए?
  39. प्रश्न- क्या संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व में शान्ति स्थापित करने में सफल हुआ है? समालोचना कीजिए।
  40. प्रश्न- सार्क पर एक निबन्ध लिखिए।
  41. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन के विभिन्न रूपों तथा उद्देश्यों का वर्णन करते हुए इसके सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित करते हुए उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
  44. प्रश्न- 'क्षेत्रीय सन्धियों' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  45. प्रश्न- समूह 15 ( G-15) क्या है?
  46. प्रश्न- स्थाई (Permanent) तटस्थता तथा सद्भावनापूर्ण (Benevalent) तटस्थता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- नाटो (NATO) क्या है?
  48. प्रश्न- सीटो (SEATO) के उद्देश्य क्या हैं?
  49. प्रश्न- सार्क (SAARC) क्या है?
  50. प्रश्न- दक्षेस (SAARC) की उपयोगिता को संक्षेप में समझाइए।
  51. प्रश्न- “सामूहिक सुरक्षा शांति स्थापित करने का प्रयास है।" स्पष्ट कीजिये।
  52. प्रश्न- 'आसियान' क्या है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment) तथा तटस्थता (Neutrality) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन को एक नीति के रूप में समझाइये।
  55. प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र संघ पर एक टिप्पणी कीजिए।
  56. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित कीजिये।
  57. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण और आयुध नियंत्रण में क्या अन्तर है?
  58. प्रश्न- शस्त्र नियंत्रण और निःशस्त्रीकरण में क्या सम्बन्ध है?
  59. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आन्तरिक व बाह्य खतरों की व्याख्या कीजिये।
  60. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्तर्गत भारत को अपने पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान तथा चीन से सम्बन्धित खतरों का उल्लेख कीजिए।
  61. प्रश्न- 'चीन-पाकिस्तान धुरी एवं भारतीय सुरक्षा' पर एक निबन्ध लिखिए।
  62. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं?
  63. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व एवं अर्थ की व्याख्या कीजिये।
  64. प्रश्न- गैर-सैन्य खतरों से आप क्या समझते हैं? उनसे किसी राष्ट्र को क्या खतरे हो सकते हैं?
  65. प्रश्न- देश की आन्तरिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्तमान समय में भारतीय आन्तरिक सुरक्षा के लिए मुख्य खतरों की विवेचना कीजिए।
  66. प्रश्न- भारत की आन्तरिक सुरक्षा हेतु चुनौतियाँ कौन-कौन सी है? वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- रक्षा की अवधारणा बताइए।
  68. प्रश्न- खतरे की धारणा से आप क्या समझते हैं? भारत की सुरक्षा के खतरों की समीक्षा कीजिए।
  69. प्रश्न- राष्ट्र की रक्षा योजना क्या है और इसकी सफलता कैसे निर्धारित होती है?
  70. प्रश्न- "एक सुदृढ़ सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिये।
  71. प्रश्न- भारत के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए विकसित प्रक्षेपास्त्रों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  72. प्रश्न- पाकिस्तान की आणविक नीति का भारत की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का परीक्षण कीजिये।
  73. प्रश्न- चीन के प्रक्षेपात्र कार्यक्रमों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- चीन की परमाणु क्षमता के बारे में बताइए।
  75. प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  76. प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
  77. प्रश्न- भारत के लिये नाभिकीय शक्ति (Nuclear Powers ) की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये।
  78. प्रश्न- पाकिस्तान की परमाणु नीति की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  79. प्रश्न- पाकिस्तान की मिसाइल क्षमता की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- क्या हथियारों की होड़ ने विश्व को अशान्त बनाया है? इसकी समीक्षा कीजिए।
  81. प्रश्न- N. P. T. पर बड़ी शक्तियों के दोहरी नीति की व्याख्या कीजिए।
  82. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि (CTBT) के सैद्धान्तिक रूप की विवेचना कीजिए।
  83. प्रश्न- MTCR से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- राष्ट्रीय मिसाइल रक्षा (NMD) से आप क्या समझते हैं?
  85. प्रश्न- परमाणु प्रसार निषेध संधि (N. P. T.) के अर्थ को समझाइए एवं इसका मूल उद्देश्य क्या है?
  86. प्रश्न- FMCT क्या है? इस पर भारत के विचारों की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- शस्त्र व्यापार तथा शस्त्र सहायता में क्या सम्बन्ध है? बड़े राष्ट्रों की भूमिका क्या है? समझाइये |
  88. प्रश्न- छोटे शस्त्रों के प्रसार से आप क्या समझते हैं? इनके लाभ व हानि बताइये।
  89. प्रश्न- शस्त्र दौड़ से आप क्या समझते हैं?
  90. प्रश्न- शस्त्र सहायता तथा व्यापार कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
  91. प्रश्न- शस्त्र व्यापार करने वाले मुख्य राष्ट्रों के नाम बताइये।
  92. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये वाह्य व आन्तरिक चुनौतियाँ क्या हैं? उनसे निपटने के उपाय बताइये।
  93. प्रश्न- भारत की सुरक्षा चुनौती को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति की समीक्षा कीजिए।
  94. प्रश्न- भारत में अनुसंधान तथा विकास कार्य (Research and Development) पर प्रकाश डालिए तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठनों का भी उल्लेख कीजिए।
  95. प्रश्न- "भारतीय सैन्य क्षमता को शक्तिशाली बनाने में रक्षा उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।' उपरोक्त सन्दर्भ में भारत के प्रमुख रक्षा उद्योगों के विकास का उल्लेख कीजिए।
  96. प्रश्न- नाभिकीय और अंतरिक्ष कार्यक्रम के विशेष सन्दर्भ में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास पर एक निबन्ध लिखिए।
  97. प्रश्न- "एक स्वस्थ्य सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  99. प्रश्न- भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए

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